इन लहरों से पूछो तुझे अपने मे शमा कर कैसा लगता है !
मेरे दिल से पूछो तुमको मेरा छोड़कर जाना मुझको कैसा लगता हैं जब छोड़ना ही था तो फिर अपनाया क्यों दो माझधारो को एक बनाया ही क्यों लहरों का मिलना नहीं था किनारो से तो लहरों को अपने मे शमाया ही क्यों
पर मुझको छोड़ कर तू भी ना जी पायेगा तू भी दो किनारो को एक ना कर पायेगा जब भी शमाना चाहोगे अपने मे मेरा सूखा प्यार याद आएगा आज नहीं तू भी कल रोयेगा जब कोई तेरा अपना तुझे छोड़ कर जायेगा पर शायद तब भी तुमको इतना दर्द ना हो पर मेरे शब्द तेरे आगे तब आएंगे जब भी तू पाना चाहेगा मुझको तब मे रहूँगी ना ही मेरी सांसे रहेगी पर हा मेरा प्यार तेरे मे तब भी रहेगा
बस यूँ ही अपनों के नाम......
डॉली दिल से......
मेरे दिल से पूछो तुमको मेरा छोड़कर जाना मुझको कैसा लगता हैं जब छोड़ना ही था तो फिर अपनाया क्यों दो माझधारो को एक बनाया ही क्यों लहरों का मिलना नहीं था किनारो से तो लहरों को अपने मे शमाया ही क्यों
पर मुझको छोड़ कर तू भी ना जी पायेगा तू भी दो किनारो को एक ना कर पायेगा जब भी शमाना चाहोगे अपने मे मेरा सूखा प्यार याद आएगा आज नहीं तू भी कल रोयेगा जब कोई तेरा अपना तुझे छोड़ कर जायेगा पर शायद तब भी तुमको इतना दर्द ना हो पर मेरे शब्द तेरे आगे तब आएंगे जब भी तू पाना चाहेगा मुझको तब मे रहूँगी ना ही मेरी सांसे रहेगी पर हा मेरा प्यार तेरे मे तब भी रहेगा
बस यूँ ही अपनों के नाम......
डॉली दिल से......
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