जिस का खाया उसी को हटाया व रे मेरे भोले !
जिसको आ गया सड़यत्र रचना उसके जलबे जलबे
धन्ना सेठो के काम निराले, हम थे भोले भाले
समझ ना पाए सड़यत्रो को, बुन गए जाले जाले!!
हम आये थे भोलेपन मे, बिक गये भोलेभाले सड़यत्रों ने कर दिया मुझको नंगा अंदर अंदर रहकर
समझ ना पाए कूट-भक्ति को व रे मेरे भोले
समझ ना आया अभी तक क्या थी मेरी भूल
अब अच्छा है ख़ुश रहे सब मुझको नँगा करने वाले !!
बस यूँ ही..........
डॉली दिल से........
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🙏🙏